सारे वादे तुम्हारे
मैंने रख दिया है
दिल की किताब में
सूख चुके हैं
सभी वादे
किताब की फूल की तरह
छूने से डरता हूं
टूट न जाये कहीं.........
सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...