Tuesday, May 8, 2012

भर मन से/ विष्णुचंद्र शर्मा' की एक कविता


चाँद
पूछता है :
‘कैसी यात्रा है |   
किससे मिले ,
किसे भर मन से
गले लगाया ?
किसकी खोजी
जीवन धारा
दिल भर आया |’

चाँद
भरे मन से
कोहरे में
डूबा....
८/०५/१२
५:१८ सुबह

--विष्णुचंद्र शर्मा  

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