tag:blogger.com,1999:blog-3414484755532890499.post7736441299541422622..comments2023-12-31T00:37:37.453-08:00Comments on मेरी संवेदना : भूल गया था मैं तुम्हें Nityanand Gayenhttp://www.blogger.com/profile/14656349243336915008noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-3414484755532890499.post-89313176317061513892010-12-28T22:19:31.718-08:002010-12-28T22:19:31.718-08:00समय का पहिया घूमते रहता .है ...
और यादे ..जिन्हें ...समय का पहिया घूमते रहता .है ...<br />और यादे ..जिन्हें भुलाना चाहते भी है अगर कोई ...<br />तो नहीं भुला पाते ..<br />क्योकि ...यादे ...मष्तिष्क के किसी तलहट्टी में छिपी होती है /<br />beautifulbabanpandeyhttps://www.blogger.com/profile/17780357103706948852noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3414484755532890499.post-50983007673713761502010-12-25T01:52:43.529-08:002010-12-25T01:52:43.529-08:00wah wah...ati sundar...wah wah...ati sundar...Vivek singhhttps://www.blogger.com/profile/17933397818679956395noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3414484755532890499.post-50738177559555155842010-12-24T07:31:12.337-08:002010-12-24T07:31:12.337-08:00ये कविताएं अपने समय की तल्ख सच्चाई को बेबाकी से ...ये कविताएं अपने समय की तल्ख सच्चाई को बेबाकी से बयान करती हैं। चारमीनार खडा है जैसी संवेदनशील कविता तो देर तक ध्वनित होती रहती है। मुझे लगता है, कवि को इस राजनीतिक मुहावरे से जल्दी बाहर आ जाना चाहिये। अपने अनुभव और मन की कोमल इच्छा ओं के पास रहकर वे लिख सकें तो शायद कुछ बात बने। बाकी जो व्यंग्य और सात्विक गुस्सा इन कविताओं में झलकता है, वह एक सच्चे इन्सान का मन है। हां कुछ शब्दों की वर्तनी में हैदराबादी हिन्दी का असर है, उसे जरूर ठीक कर लेना चाहिये, जैसे किउन को क्यों लिखें तो बेहतर।नंद भारद्वाजhttps://www.blogger.com/profile/10783315116275455775noreply@blogger.com