Tuesday, August 10, 2021

'भाग्य-विधाता' तस्वीर में मुस्कुरा रहे हैं

 बहुत अजीब सी ख़ामोशी है

जबकि आतंक लगातार तांडव कर रहा है
हमारे आसपास
इसे भय कहा जाए
या बेशर्मी !
मेरे कमरे से संविधान नामक पुस्तक
गायब है
जिसमें 'लोकतंत्र' और 'न्याय' नामक शब्दों का
उल्लेख है!
'स्वच्छता अभियान' अपनी रफ़्तार में है
लेकिन हमारे आसपास
कचरे का ढेर लगा है
बीमारी फ़ैलाने के लिए मक्खियों के झुंड भिनभिना रहे हैं
हम अब मास्क पहनकर टहल रहे हैं!
पर्यावरण वैज्ञानिकों ने चेतावनी जारी की है
इसी सदी में दुनिया डूबने वाली है
मानव सभ्यता पर खतरा मंडरा रहा है
जबकि इस वक्त
मुझे 'मानवता' की तलाश है!
अधिनायक की सवारी की तैयारी लगे हुए हैं
सिपाही और प्यादे
क्या नगर में आपातकाल घोषित हुआ है?
चौराहे के कोने में बैठा मजदूर
अपनी बीड़ी सुलगाने को माचिस खोज रहा है !
'फ्री वैक्सीन' के बाद ज़हरीले नारों के बीच
'भाग्य-विधाता' को धन्यवाद देते पोस्टर
खूब चमक रहे हैं
राजधानी की सरकारी भवनों पर
राशन की थैली पर
'भाग्य-विधाता' तस्वीर में मुस्कुरा रहे हैं
कवियों को
सरकारी नौकरी मिल गयी है!

इक बूंद इंसानियत

  सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...