बस तुम से
तुम तक
रहे मेरी बातें
जब कभी तुम्हें याद आये
वो चांदनी रातें
ठीक मेरी तरह
हमेशा सुरक्षा का एक घेरा चाहती हैं
मेरी बातें ....
सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...