बंदूक,
कुपोषण
दंगे ,आगजनी
नफ़रत
इन सबके बीच रहकर भी
तुम लिख लेते हो
प्रेम कविता ....?
सच में कमाल हो तुम ....
कुपोषण
दंगे ,आगजनी
नफ़रत
इन सबके बीच रहकर भी
तुम लिख लेते हो
प्रेम कविता ....?
सच में कमाल हो तुम ....
सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...