Wednesday, October 28, 2015

सबसे गहरी होती है आँखों की उदासी

तुम्हारी उदास आँखों में
जो अनकही कहानी है
सुनना कभी मुझे
एकांत में,
उदासी की भाषा बहुत कठिन है 
और सबसे गहरी होती है
आँखों की उदासी |
...तुम्हारा कवि 

Tuesday, October 27, 2015

बेचैन थी नदी

नदी पार करते हुए
मैं सोच रहा था तुम्हें
बेचैन थी नदी
और उदास था मैं
उम्मीद है
तुम समझोगी वो अनकही
-तुम्हारा कवि ...
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चित्र : गूगल  से साभार 


Sunday, October 25, 2015

यूँ ही तुम्हें सोचते हुए

तुम्हारी आँखों की भाषा
पढ़ तो लेता हूँ
पर ,नहीं कर पाता मैं अनुवाद !
समझ न आये
तो, झाँक लेना तुम भी 
मेरी आँखों में कभी ........
यूँ ही तुम्हें सोचते हुए ........


Monday, October 19, 2015

तुम्हारी आँखों की उदासी अब मेरी आँखों में है

आज तुमसे विदा लेते वक्त
फिर भर आयीं मेरी आखें
तुम्हारे आने की ख़ुशी में भी
यही हाल था मेरा
मैं तुम्हारे लौटने की प्रतीक्षा करूँगा |
तुम्हारी आँखों की उदासी
अब मेरी आँखों में है ......

Thursday, October 15, 2015

तुम्हारी व्यथा की कहानी

तुम्हारी व्यथा की कहानी
मैंने रात भर
नदी को सुनाई,
नदी राह बदल कर
मेरी आँखों में
आ गयी ...
-सिर्फ तुम्हारा
एक कवि


Tuesday, October 13, 2015

मैं तुमसे प्रेम करना चाहता हूँ

हत्याओं के इस दौर में
मैं तुमसे प्रेम करना चाहता हूँ
जैसे तुम चाहती हो
मतलब जैसे हम दोनों चाहते हैं
किन्तु एक दिक्कत है !
हम दोनों की चाहतों के बीच
आ जाती हैं
विश्व की सबसे प्राचीन परम्परा,
संस्कृति, और पता नहीं क्या -क्या
आजकल आ रहा है 'आदित्यनाथ', गिरिराज, प्रज्ञा,
रामसेना, बजरंगी...... मौलानाओं की भीड़
खाप तैयार बैठा है पंचायत सजा कर
फांसी के फंदे और बंदूक के साथ
और सबसे आगे हैं ...
हमारे माँ-बाप , बहन का भाई
जो चुपके से करता है प्यार किसी से
बस उसे पसंद नहीं .... किसी और का प्यार करना !
अब बोलो ....मेरी जान
क्या करें ....
प्यार करें
या समझौता !

Friday, October 9, 2015

क्या तुझे शर्म नहीं आयी !

दनकौर में,
मादरे हिन्द की बेटी को 
नग्न किया गया 
उस रात फिर
खूब रोए 'नागा बाबा'
बाबा ने मुझसे कहा -
देख रे -बेरोजगार ग्रेजुएट
इसी देश में आया था बुद्ध भटककर
कबीर भी
और फिर आया था
फ़कीर संत गाँधी
आज सभी रोए रात भर
देखने वाले देखते रहे -बे-शर्म
और मैं देता रहा खुद को तस्सली
कि, अब नहीं रहा इस देश में
मेरी गालियाँ भी अब हो चुकी है बेअसर
चल तू बता -
क्या सच में नहीं बदल पाए इस देश को
जिसे - हिन्दोस्तान कहते हैं !
देख , आज भी मादरे हिन्द की बेटी असहाय नग्न घूम रही है
तेरी जमीन पर ....
हिल उठी है मेरी आत्मा
क्या तुझे शर्म नहीं आयी !
या डरता है मरने से !

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चित्र : गूगल  से  साभार 


Friday, October 2, 2015

ऐसे समय में जब प्रेम सबसे बड़ा अपराध घोषित हो चुका है

यह हमारे दौर का 
सबसे खूंखार समय है
हत्या बहुत मामूली घटना है इनदिनों
ऐसे समय में
जब प्रेम सबसे बड़ा अपराध घोषित हो चुका है
मैं बेखौफ़ होकर
लिख रहा हूँ
प्रेम कविताएँ
तुम्हारे लिए |


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मैं बदनाम होना चाहता हूँ 
हाँ, मैं बदनाम होना चाहता हूँ
बहुत ज्यादा,जितना अब तक हूँ
उससे भी ज्यादा,
उन गलियों से भी जियादा
जहाँ गुजार देते हैं कई -कई रात 
सभ्य समाज के सभी ठेकेदार
जिनकी आधी रात बीतती हैं
उन्हीं बदनाम गलियों में

और हाँ सुनो -
मुझे शिकायत तुमसे नहीं
खुद से है ||

इक बूंद इंसानियत

  सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...