Monday, October 29, 2012

बहुत कुछ कहती है ख़ामोशी

खामोश रेखाकार 
बहुत कुछ कहता है 
आँखों से 
जानते हो तुम 
आँखों की भाषा ?

नही , 
मैं नही कह रहा हूँ 
कोई पक्ष की बात 
केवल बयाँ कर रहा हूँ 
जो कुछ समझ पाया
झांक कर उनकी आँखों में

बहुत कुछ कहती है ख़ामोशी
आकाश से टूट कर गिरते तारे की तरह
वे मांगते हैं बंदकर मुट्ठी
अपने लिए दुयाएँ
क्या जाने ..
टूट कर बिखरने की पीड़ा ...?

ये सभी दानिश्वर हैं
लकीर की भाषा तो केवल
फ़क़ीर समझते हैं ....

-नित्यानंद गायेन
रायपुर ,27/10/12

Tuesday, October 23, 2012

केवल जला रहे हैं पुतलें .....




भीतर ही भीतर
हँस रहा है
एक रावण निरंतर

हम सदियों से
केवल जला रहे हैं पुतलें

अहंकार को मार न पाएं
ज्ञान हम ले न सकें
सिर्फ जलाते गये
पुतले ,

साल दर साल
बढ़ता गया रावण
फैलता गया

दस नही अब
हजारों -लाखों चेहरे वाले
रावण हैं समाज में
और, हम सिर्फ
पुतले जलाते गये ............?

Thursday, October 18, 2012

कुछ ने उन्हें दूर से देखा


आदमी -आदमी में
समाया हुआ है षड्यंत्र ....
बस पहनकर मुखौटा जाते हैं
आईने के सामने ...

कुछ ने उन्हें दूर से देखा .
कुछ ने कहा
आत्मा से मरे हुए लोग 

मैंने उन्हें जिंदा पाया 
भय के कारण 
दीर्घ साँस लेते हुए

Sunday, October 14, 2012

एक पैगाम प्यारी मलाला के नाम


प्यारी मलाला ,
मैं जानता हूँ 
अभी मूक पड़ी हो तुम 
किन्तु , मैं जानता हूँ 
सुन सकती हो तुम मुझे

तो, सुनो 
आज उठ रहे हैं करोड़ो हाथ 
दुआ में, तुम्हारे लिए |
खुल गई हैं लाखों जुबाने
तुम्हारे लिए |

तुम नाराज़ न होना
उन कायरों से
ये अक्सर
यूँ ही चुपके से करते हैं वार

तुम बस हिम्मत न हारना
क्यों कि, ये बस आगाज़ भर है
असली जंग तो
बाकी है अभी ................

Tuesday, October 2, 2012

इन्हें मालूम है तस्वीरें बोला नही करती ..


बापू ..
राज घाट पर
आज उन्होंने तुम्हें
पुष्पांजलि दी

बड़ी देर बाद
उन्हें तुम याद आये

जब भी हुआ
खतरा कुर्सी पर
लगा कर तुम्हरी तस्वीर
सभाएं की उन सभी ने
सत्ता के लिए
गांधीवादी घोषित किया
खुद को

तुम्हारी एक तस्वीर
इन सभी ने
लगा रखी है
अपने -अपने कार्यालयों में
वहीं बैठ कर
सरेआम इन्होने
चोरियाँ की

इन्हें मालूम है
तस्वीरें बोला नही करती ..

इक बूंद इंसानियत

  सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...