Saturday, June 11, 2011

मामूली बात नहीं

पहले लिखना 
और फिर मिटाना 
आसान काम नहीं 
किन्तु इस कार्य को किया है 
तुमने बड़ी आसानी से 
लिखने और फिर मिटाने की 
यह कला कहाँ से सीखी तुमने ?
तुम्हे भीड़ से छुपाना 
आसान न था 
फिर भी छुपा कर रखा था मैंने तुम्हे 
अपने हृदय में 
और तुमने दिल को ही छेद डाला 
दर्द को छुपाना  आसान नहीं 
आँखों  की  भाषा  
पढने वाले लोग अनेक हैं इस जहाँ में 
जंगल  के सन्नाटे में 
दबे पांव निकल जाना 
मामूली बात नहीं 
और मैं निकल गया 
तुम्हे अहसास भी नहीं हुआ 
यह कमाल है //

इक बूंद इंसानियत

  सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...