मज़हब के बाज़ार में
बिक गया अवाम
बिक गया अवाम
कुछ को है हैरानी
हंसते उधर तमाम
हंसते उधर तमाम
देखिये, मंज़र-ए-आम
बाहर मयखाने के छलक रहे जाम
. 1. मैं युद्ध का समर्थक नहीं हूं लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी और अन्याय के खिलाफ हो युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो जनांदोलन से...
बहुत खूब... ,सादर नमस्कार
ReplyDeleteहौसलाअफजाई के लिए शुक्रिया आपका
Deleteसादर नमस्कार
बहुत बढ़िया
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