मटमैले रूप में
सड़क के किनारे
जिसे कभी देखा था
सर्द मौसम में
जिसका तन आधा ढका था
वह आया था
इस शहर में
काम की तलाश में
उस पर अपने
परिवार का बोझ था
उसे कोई काम नही देता था
उन्हें शक था ,
वो एक चोर है
मंदिरों में उसका प्रवेश
मना था क्योंकि
वह निम्न वर्ग का था
उसके चहरे पर
बेवसी का चित्रण था
कल की सर्द रात में
फूट पाथ पर सोते हुए
एक अमीर जादे ने
जिसे कुचला
वही गरीब था //
सड़क के किनारे
जिसे कभी देखा था
सर्द मौसम में
जिसका तन आधा ढका था
उसका पेट
पीठ सठा था वह आया था
इस शहर में
काम की तलाश में
उस पर अपने
परिवार का बोझ था
उसे कोई काम नही देता था
उन्हें शक था ,
वो एक चोर है
मंदिरों में उसका प्रवेश
मना था क्योंकि
वह निम्न वर्ग का था
उसके चहरे पर
बेवसी का चित्रण था
कल की सर्द रात में
फूट पाथ पर सोते हुए
एक अमीर जादे ने
जिसे कुचला
वही गरीब था //
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 27-10 - 2011 को यहाँ भी है
ReplyDelete...नयी पुरानी हलचल में आज ...
कल की सर्द रात में
ReplyDeleteफूट पाथ पर सोते हुए
एक अमीर जादे ने जिसे कुचला
वह वोही गरीब था
बहुत मार्मिक लिखा है सर! लेकिन हकीकत मे ऐसा ही होता भी है।
सादर
मैं आपके ब्लाग पे नइ पुरानी हलचल के माध्यम से पहली बार आया हूं बहुत मार्मिक ये रचना दिल को छूने वाली है
ReplyDeleteकभी मेरे ब्लाग पे भी पधारें! आभार...
बहुत आभार आप सबका
ReplyDeletebhavpurn chitran, saath mein thoda sa vyang bhi pratit huwa....
ReplyDeleteumda....
www.poeticprakash.com
bahut hi marmik kavita hai.....umda prastuti
ReplyDeleteshukria aap sabhi ka ............
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