पहले लिखना
और फिर मिटाना
आसान काम नहीं
किन्तु इस कार्य को किया है
तुमने बड़ी आसानी से
लिखने और फिर मिटाने की
यह कला कहाँ से सीखी तुमने ?
तुम्हे भीड़ से छुपाना
आसान न था
फिर भी छुपा कर रखा था मैंने तुम्हे
अपने हृदय में
और तुमने दिल को ही छेद डाला
दर्द को छुपाना आसान नहीं
आँखों की भाषा
पढने वाले लोग अनेक हैं इस जहाँ में
जंगल के सन्नाटे में
दबे पांव निकल जाना
मामूली बात नहीं
और मैं निकल गया
तुम्हे अहसास भी नहीं हुआ
यह कमाल है //
सचमुच प्यारी रचना....
ReplyDeleteभावनाओं को बखूबी लिखा है ..
ReplyDeletebahut sahi likhaa Nityanand Bhai aapne.
ReplyDeleteआप सभी का शुक्रिया
ReplyDeleteexcellent expressions..//
ReplyDeletesir kya ho gaya ???
ReplyDeletejo aisi rachnaye man mashtishk me aa gayi kuch hua kya sir???
यह कोई जरुरी नही कि कवि अपनी रचना में जो कुछ कहता हो उसके निजी जीवन पर भी हो , किसी के साथ हो सकता है , बात अनुभूति की है .
ReplyDeletebahut sundar likha hai....good
ReplyDeletevery well expressed sir:)
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