'गुलाबी' के
सपने तो बहुत थे
उन्हें तोड़ने वाले
कहाँ कम थे ?
रंगीन चूड़ियों
का सपना
सहृदय बालम
का सपना
सबको अपना
बनाने का सपना
जलाई जाएगी
उसे केरोसिन डालकर
नही था
ये सपना गुलाबी का
पर ........................
राख हुए सब सपने
गुलाबी के साथ
संवेदनशून्य समय की त्रासदी ! तरह-तरह के सपनों का ध्वंस.
ReplyDeleteहमारे समाज की असंवेदनशीलता की सटीक और सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteसंवेदनशील प्रस्तुति ...समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका सवागत है http://mhare-anubhav.blogspot.com/
ReplyDeleteआभार आप सभी का ..................
ReplyDeletePallavi ji aapke blogs follow kar liya ...........sunder.
ReplyDeleteबहुत ही शर्म की बात है आज भी सपने टूट रहे है ...
ReplyDeleteसुंदर prayaas ....
समाज में आज भी दुर्भाग्य से ये सब व्याप्त है ..!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रचना !