Sunday, February 2, 2014

जम्हूरियत की बात मत पूछो यारों

जम्हूरियत की बात न पूछो 
यहाँ तो बेचीं जा रही हैं
कब्रिस्तान की ज़मीने 
ज़ुबान हमारी तुतलाने लगी हैं 
वजीरों के गीत गाते -गाते 
जम्हूरियत की बात मत पूछो यारों 

ये कैसी जम्हूरियत है 
जहाँ पाले जाते हैं 
तानाशाही हुक्मरान 
और भूख से मरते हैं आवाम
अब सोचिये
चाहिए क्या हमें ,
चंद खानदान
या पूरा हिन्दुस्तान ?

2 comments:


  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन टेलीमार्केटिंग का ब्लैक-होल - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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