Tuesday, October 21, 2014

आओ पहाड़ों पर चलें

आओ पहाड़ों पर चलें
जहाँ बचे हुए हैं कुछ वृक्ष आज भी अपने दम पर
झरनों ने अभी दम नही तोड़ा
जीवन बाकी है अभी।
क्या पता मिल जाये कोई वन्य प्राणी टहलते हुए
जिन्हें हम जानवर कहते हैं अक्सर
और वे समझते हैं हमें इंसान
आओ , उन्हें बता दें हम अपने बारे में।

1 comment:

  1. choti si kawita me kai batein aapne kah di ,wriksh pahadon par bche hn apne dm pr ,,manushyon ne samtal maidan ke wriksh nst kar diye aur karte ja rhe hain ,,,,jise hm janwar kahte hain kya pta uske andr insaniyat ho ,,janwar to hm ho gye hain ,,,,pashuon ko hm bta den ki hm bhi tumhari trh hi hain ,,

    ReplyDelete

इक बूंद इंसानियत

  सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...