अब यदि कोई पूछ लेता है परिचय -क्या करते हो कह कर
उनसे कहता हूँ
- दास नहीं हूँ
राजा के घोड़ों को घास नहीं डालता
न ही पिलाता हूँ पानी उनको
कहता हूँ - मजदूर हूँ
जिन्दगी की लड़ाई में व्यस्त हूँ
उनसे कहता हूँ
- दास नहीं हूँ
राजा के घोड़ों को घास नहीं डालता
न ही पिलाता हूँ पानी उनको
कहता हूँ - मजदूर हूँ
जिन्दगी की लड़ाई में व्यस्त हूँ
कहता नहीं हूँ अभिमान भाव से उनसे
कि कवि हूँ
पर कवि के पक्ष में हूँ
जो किसान -मजदूर और शोषितों की हक़ की लड़ाई में शामिल हैं
राजपथ पर नंगे पाँव चलते नागरिक पहचानते हैं मुझे
राजा से मेरा कोई रिश्ता नहीं है
उनके जलसे में शामिल तमाम लोग मुझे नहीं पहचानते
यही मेरा परिचय है !
कि कवि हूँ
पर कवि के पक्ष में हूँ
जो किसान -मजदूर और शोषितों की हक़ की लड़ाई में शामिल हैं
राजपथ पर नंगे पाँव चलते नागरिक पहचानते हैं मुझे
राजा से मेरा कोई रिश्ता नहीं है
उनके जलसे में शामिल तमाम लोग मुझे नहीं पहचानते
यही मेरा परिचय है !
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन भालजी पेंढारकर और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteवाह|
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