Tuesday, July 14, 2020

उदासी में ही मैं लिख सकूंगा प्रेम की सबसे मुकम्मल कविता

याद है तुम्हें
मैंने कहा था तुमसे
अच्छा लगता है मुझे
मेरा उदास होना
दरअसल अपनी उदासी में ही मैं
खुद में होता हूँ पूरी तरह
जब भर आती हैं मेरी आँखें और धुंधली पड़ती हैं
वहमी रिश्ते -नातों की तस्वीरें
मैं केवल सोचता हूँ अपने बारे में
और कल रात जब मैं फोन पर झगड़ रहा था तुमसे
तुम्हारी ही किसी बात पर
क्योंकि मेरी ख़ामोशी पर तुम बार- बार पूछती
कि 'मैं क्यों हूँ उदास' ?
मैं परेशान होता हूँ तुम्हारे इस सवाल से
न पूछो कभी मुझसे मेरी उदासी का राज
बस जब मैं खामोश रहूँ लम्बे समय तक
तुम समझ लेना कि मैं खुद के साथ हूँ
मतलब मैं सोच रहा हूँ तुम्हें
दरअसल उस दौरान मैं विलीन होता हूँ प्रेम में
और सोचता हूँ एक प्रेम कविता पर
जिसे मैं लिख सकूं तुम्हारे लिए
और मुझे लगता है कि
अपनी उदासी में ही मैं लिख सकूंगा
प्रेम की सबसे मुकम्मल कविता
तुम्हारे लिए..!!
--------------------
रचनाकाल :  जुलाई 14 , 2015


4 comments:

  1. बस जब मैं खामोश रहूँ लम्बे समय तक
    तुम समझ लेना कि मैं खुद के साथ हूँ
    मुकम्मल कविता

    ReplyDelete
    Replies
    1. हौसलाअफजाई के लिए शुक्रिया आपका

      Delete
  2. बहुत बढ़िया

    ReplyDelete

इक बूंद इंसानियत

  सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...