हाँ यह सच है , कि
मैं आर्य नहीं हूं , किन्तु ..
यह भी सच है ..
मै भी बना हूं
रक्त और मांस से
जैसे बने हो तुम .
मै शिकार करता हूं
आजीविका के लिए
तुम करते हो शिकार
मनोरंजन के लिए
खाता हूं मैं अध्जला मांस
क्यों कि
अब न जंगल की लकड़ी है मेरे पास
और न ही केरोसिन के दाम
पहनता हूं छिन्न वस्त्र
और तुम वस्त्र में भी रहते हो नग्न
बस यही अंतर है
मेरे तुम्हारे बीच .
दिवानिशि मै करता हूं श्रम
मत भूलो यह
मैंने ही गड़ा था
सर्वप्रथम अपने करो से
उस देवी की प्रतिमा को
जिसे तुम पूजते हो पुष्पमाला पहनाकर ......
तुम्हारे मंदिर , मस्जिद और गिरजे की दीवारें
मेरे श्रम का परिणाम है
मैंने ही सीखाया तुम्हारे पूर्वजों को
खेतों में हल चलाना .....
फिर सीखाया मैंने उन्हें धातु का व्यवहार
उगाया धान , अन्न मैंने सबसे पहले
फिर भी मै आर्य नहीं
तुम्हारी नज़रों में
धूप का चश्मा जो चड़ा है आँखों पर
मै मान चूका हूं , कि
मै आर्य नहीं हूं
तुम्हारी चमचमाती गाड़ी और पैरों की बूट
अब भी मै ही चमकाता हूं
बनाया था मैंने उस स्कूल की दीवारों को
जहाँ से पढकर तुम्हारे बच्चे
देते हैं मुझे अंग्रेजी में गालियां
मै आर्य नहीं , किन्तु
न मै और न ही मेरे जैसे
देते हैं गालियां मनोरंजन के लिए ......
मैं आर्य नहीं हूं , किन्तु ..
यह भी सच है ..
मै भी बना हूं
रक्त और मांस से
जैसे बने हो तुम .
मै शिकार करता हूं
आजीविका के लिए
तुम करते हो शिकार
मनोरंजन के लिए
खाता हूं मैं अध्जला मांस
क्यों कि
अब न जंगल की लकड़ी है मेरे पास
और न ही केरोसिन के दाम
पहनता हूं छिन्न वस्त्र
और तुम वस्त्र में भी रहते हो नग्न
बस यही अंतर है
मेरे तुम्हारे बीच .
दिवानिशि मै करता हूं श्रम
मत भूलो यह
मैंने ही गड़ा था
सर्वप्रथम अपने करो से
उस देवी की प्रतिमा को
जिसे तुम पूजते हो पुष्पमाला पहनाकर ......
तुम्हारे मंदिर , मस्जिद और गिरजे की दीवारें
मेरे श्रम का परिणाम है
मैंने ही सीखाया तुम्हारे पूर्वजों को
खेतों में हल चलाना .....
फिर सीखाया मैंने उन्हें धातु का व्यवहार
उगाया धान , अन्न मैंने सबसे पहले
फिर भी मै आर्य नहीं
तुम्हारी नज़रों में
धूप का चश्मा जो चड़ा है आँखों पर
मै मान चूका हूं , कि
मै आर्य नहीं हूं
तुम्हारी चमचमाती गाड़ी और पैरों की बूट
अब भी मै ही चमकाता हूं
बनाया था मैंने उस स्कूल की दीवारों को
जहाँ से पढकर तुम्हारे बच्चे
देते हैं मुझे अंग्रेजी में गालियां
मै आर्य नहीं , किन्तु
न मै और न ही मेरे जैसे
देते हैं गालियां मनोरंजन के लिए ......
aapne vastvikta ko piro kar rakh diya hai...
ReplyDeleteवाह नित्यानान्दजी ...शब्द नहीं हैं मेरे पास ...बहुत गहन अभिव्यक्ति ...मन को कचोटती हुई
ReplyDeleteबहुत आभार Saras जी ...........
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