मै नहीं आता , और
मेरे सपनो में अब वे नहीं आते
वे सपना नहीं देखते
और मुझे
नींद नहीं आती आजकल........
जगता रहता हूं रात भर
चाँद देखने की आस में
किन्तु ...
चाँद सच में आजकल
ईद का चाँद हो गया है
या फिर शायद....
वह भी खोज रहा है नौकरी
किसी अमेरिकी कम्पनी में
रोजी-रोटी का सवाल है ....
अब लोग पहुँच रहे हैं चाँद पर
चाँद की खोज में
उन्हें चाँद पर चाँद नहीं
पानी मिला है ....
वैज्ञानिक पहुँच गए
जानने के लिए पानी के स्रोत
पर किसे पता वो पानी
चाँद के आंसू है
और वैज्ञानिक
आंसू की भाषा नहीं समझते .
Nice poem...
ReplyDeleteaur vaigyaanik aansu ki bhaasha nahin samajhte ... nice. :-)
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