Thursday, February 4, 2010

चाँद देखने की आस में

उनके सपने में अब
मै नहीं आता , और
मेरे सपनो में  अब  वे नहीं आते
वे सपना नहीं देखते
और मुझे
नींद नहीं आती  आजकल........

जगता रहता हूं रात भर
चाँद देखने की आस में
किन्तु ...
चाँद  सच में आजकल
ईद का चाँद हो गया है
या फिर  शायद....
वह भी खोज रहा है नौकरी
किसी अमेरिकी  कम्पनी में
रोजी-रोटी  का सवाल है ....
अब लोग पहुँच रहे हैं  चाँद पर
चाँद की खोज में
उन्हें चाँद पर चाँद नहीं
पानी मिला है ....
वैज्ञानिक  पहुँच  गए
जानने के लिए पानी के स्रोत
 पर किसे पता वो पानी
चाँद के आंसू  है
और वैज्ञानिक
आंसू की भाषा नहीं समझते .

2 comments:

युद्ध की पीड़ा उनसे पूछो ....

. 1.   मैं युद्ध का  समर्थक नहीं हूं  लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी  और अन्याय के खिलाफ हो  युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो  जनांदोलन से...