मेरे शुन्य आकाश को भरने की
तमन्ना है अब मेरे दिल में
अपनी योग्यता को
जांचने की तमन्ना है अब दिल में .
मेरा आकाश शुन्य है
किन्तु जड़ा है तारों से
एक चाँद है
मेरे आकाश में
देवतायों ने रिक्त कर दिया है मेरा आकाश
उनका स्वर्ग अब बदल चुका है
अब वे शहरों के आलीशान मंदिरों में बसते हैं
मेरे शुन्य आकाश की
असीमित सीमायों के परे
रहते हैं जो
उनको मेरा आमंत्रण
आकर वस जाओ
मेरे शुन्य आकाश में
यहाँ तुम्हे
भय न होगा
किसी दल या नेता का
कोई नही जलाएगा
तुम्हारा घर यहाँ
कोई नही बंटेगा तुम्हे यहाँ
भाषा , धर्म और जाति के नाम पर
कोई नही होगा यहाँ
आरक्षित किसी स्तर पर
सब समान होंगे यहाँ
सच है कि शुन्य कुछ नही
किन्तु यह भी सच है
शुन्य बिन कुछ नही .
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इक बूंद इंसानियत
सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...
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बरसात में कभी देखिये नदी को नहाते हुए उसकी ख़ुशी और उमंग को महसूस कीजिये कभी विस्तार लेती नदी जब गाती है सागर से मिलन का गीत दोनों पाटों को ...
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वे सारे रंग जो साँझ के वक्त फैले हुए थे क्षितिज पर मैंने भर लिया है उन्हें अपनी आँखों में तुम्हारे लिए वर्षों से किताब के बीच में रख...
Sahi kha bhai Sunay bina kuch nahi......
ReplyDeleteOnly those who have poetic skill can understand this.....great thought !!!!
Cheers!!