मायूस नहीं हूं मै
किन्तु जनता हूं , कि
यह सच है
कि मेरे प्रयासों से
कुछ नहीं बदलेगा
किउंकि -
अब हमने
सहने की आदत डाल ली है .
जिन पर कभी न बिकने की मुहर थी
वे भी अब बिकने लगे हैं
वे नयन सुख चुके हैं अब
जो कभी सजल थे .
मेरी सोच नकारात्मक लगे
शायद
किन्तु यह सच है
कि कुछ नहीं बदलनेवाला
सिर्फ प्रयासों से अब .
नई आशाओं से मै करूँ
तुमसे यह आह्वान , कि
आओ बनाएं अब
वो लहर
जो रुके न किसी बाँध से
और तोड़ डाले कुंठा के चट्टानों को
यह लहर प्रयासों का नही
परिणाम का लहर होगा
उम्मीद अब भी है तुमसे मुझे
इसलिए मायूस नही हूं मैं .
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apki kalam se e badlega sab.......... u hav the power of pen:)
ReplyDeleteमायूस न हों सब बदलेगा .अराजकता में ही क्रांति के बीज भी छिपे होते हैं .
ReplyDeletedelete word verification option. it serves no purpose .