बीज बो रहा हूं
इस बीज से -
जब अंकुर फूटेगा , तभी
मेरी कविता की शुरुआत होगी
फिर एक
नन्हे पौधे के रूप में
बाहर आएगी मेरी कविता
और तब
मैं उसे पानी और धूप दूंगा
किन्तु --
जल्दी के फेर में
कोई रसायन नही डालूँगा
क्योंकि रसायन
मृदा की उर्वरकता को
नष्ट कर देता है
मेरी कविता का पौधा
विशुद्ध होगा
एक सुंदर छायेदार वृक्ष बनने तक
मैं प्रतीक्षा करूँगा
और जब उस वृक्ष को देखेने और पढने के लिए
पाठक स्वम आयेंगे
मेरी कविता पूर्ण होगी //
अति सुंदर,, पूर्णता की शुरुआत हो गई नित्या...
ReplyDeletezarur poori hogi and sab ko pasand bhi ayengi apki kavitaen...
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