सोम से शुक्रवार तक
जो चिपके रहते थे कम्पुटर से
सजाते थे आंकड़े
अमेरिका के लिए
आज आंकड़ो का अमेरिका
धरासाई है
और वे खोज रहे हैं नई नौकरियां
और --
उधर दिल्ली के
लालकिले पर चड़कर
भारत के भाग्य विधाता
दे रहे हैं भाषण ---
राष्ट्र मंडल खेल से लेकर
मुंबई आदर्श कांड तक
इस पारी की
उपलब्धियां है
और जो मारे गए हैं
फर्जी पुलिसिया मुठभेड़ में
रेल दुर्घटना में
मुंबई ब्लास्ट में
कर्ज के बोझ से
बाढ में
भूख मरी से
उन सबको दे रहे हैं
मुबारक बात
आज़ादी की ६५वीं वर्षगांठ की //
यही विड़ंबना है पर कोई बात नहीं जब रात घोर अंधेरी हो जाती है तो सुबह आने वाली होती है।
ReplyDeleteप्रासंगिक पोस्ट....
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