सारे वादे तुम्हारे
मैंने रख दिया है
दिल की किताब में
सूख चुके हैं
सभी वादे
किताब की फूल की तरह
छूने से डरता हूं
टूट न जाये कहीं.........
. 1. मैं युद्ध का समर्थक नहीं हूं लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी और अन्याय के खिलाफ हो युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो जनांदोलन से...
यादें तो सहेजने की चीज है ....बहुत सार गर्वित ...अन्दर तक छू दिया
ReplyDeleteबहुत खूब. एक दम सही जानते हैं आप . धन्यवाद .
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