अपने आवारा दिनों में
मैं भी नंगे पैर घास पर चलता रहा
महाकवि 'वॉल्ट व्हिटमॅन' की तरह
मैं सोचता रहा
अपने मन में पल रहे विद्रोह के बारे में
मैंने 'नजरुल' को पढ़ा
गौर से देखता रहा मेरे आसपास की हर घटना को
मैं सुनता रहा
तुम सबकी बातें
मेरे आस -पडोस में लोगों ने
जमकर मेरी आलोचना की
मैंने 'कबीर' को सोचा उस वक्त
तभी मुझे याद आई
'सुकरात' की कहानी
फिर अचानक
मेरे मस्तिक में उभरने लगा क्रांति में शहीद हुए
क्रांतिकारियों का रक्तिम चेहरे
शासन के हाथों घायल होते हुए भी
बंद मुट्ठी लिए
क्रांति के लिए
उठे हुए लाखों हाथ
मैंने अपने कांपते तन -मन को
संभालने की नाकाम कोशिश की
अचानक मैंने भी मुट्ठी बनाकर
इन्कलाब कहकर
आकाश की ओर उठा दिया अपना हाथ
मैं भी नंगे पैर घास पर चलता रहा
महाकवि 'वॉल्ट व्हिटमॅन' की तरह
मैं सोचता रहा
अपने मन में पल रहे विद्रोह के बारे में
मैंने 'नजरुल' को पढ़ा
गौर से देखता रहा मेरे आसपास की हर घटना को
मैं सुनता रहा
तुम सबकी बातें
मेरे आस -पडोस में लोगों ने
जमकर मेरी आलोचना की
मैंने 'कबीर' को सोचा उस वक्त
तभी मुझे याद आई
'सुकरात' की कहानी
फिर अचानक
मेरे मस्तिक में उभरने लगा क्रांति में शहीद हुए
क्रांतिकारियों का रक्तिम चेहरे
शासन के हाथों घायल होते हुए भी
बंद मुट्ठी लिए
क्रांति के लिए
उठे हुए लाखों हाथ
मैंने अपने कांपते तन -मन को
संभालने की नाकाम कोशिश की
अचानक मैंने भी मुट्ठी बनाकर
इन्कलाब कहकर
आकाश की ओर उठा दिया अपना हाथ
पिछले २ सालों की तरह इस साल भी ब्लॉग बुलेटिन पर रश्मि प्रभा जी प्रस्तुत कर रही है अवलोकन २०१३ !!
ReplyDeleteकई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०१३ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिलेगा !
ब्लॉग बुलेटिन के इस खास संस्करण के अंतर्गत आज की बुलेटिन प्रतिभाओं की कमी नहीं (25) मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !