दोस्ती और दुश्मनी के बीच
बचा हुआ रहता है
एक रिश्ता, किन्तु
अभी तक हम खोज नही पाए हैं
कोई मुकम्मल नाम इसका
यकीनन हम सभी तलाशते रहते
हैं
मिठास और कडवाहट से परे
कुछ क्षणों
के लिए शिथिल पड़ चुके
रिश्ते के लिए
रिश्ते के लिए
एक मकबूल नाम
जिससे कर सके संबोधन
एक –दूजे को
हम मनुष्य हैं
और हमारी सबसे बड़ी कमजोरी
है
कि हम अलग नही कर पाते
अपने अहं को
हमारी अपेक्षा हमेशा
दूसरों से ही होती है
और इसी तरह बनी रहतीं हैं
दरारें
रिश्तों में
जिसे भर नही पाता
कोई भी सीमेंट
उत्तम...रिश्तों की उलझने और असमंजस्यता को बाखूब समझाया है..
ReplyDeleteआपको यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी यह रचना आज सोमवारीय चर्चा(http://hindibloggerscaupala.blogspot.in/) में शामिल की गयी है, आभार।
ReplyDeleteआपको यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी यह रचना आज सोमवारीय चर्चा(http://hindibloggerscaupala.blogspot.in/) में शामिल की गयी है, आभार।
ReplyDeleteबहुत -बहुत आभार नीरज जी .
Deleteriston me dukh ka karan apeksha hi hai ,,,baudhh dhrm ke bhi yhi 4 sutr hn dukh ka karan trishna hai ,,wiseshtah jab aap kisi wykti wishesh se karne lagen jitni trishna utna dukh
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