देर रात ...
सौंप दूंगा
तुम्हें,
तुम्हारी कविता |
सौंप दूंगा
तुम्हें,
तुम्हारी कविता |
अभी वो
सो रही है
मेरी डायरी में ....
सो रही है
मेरी डायरी में ....
. 1. मैं युद्ध का समर्थक नहीं हूं लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी और अन्याय के खिलाफ हो युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो जनांदोलन से...
No comments:
Post a Comment