तुम्हारे पक्ष में लिखी
सारी कविताएँ मेरी डायरी में
कैद है
तुम्हारी आज़ादी के साथ
उन्हें आज़ाद करूँगा
तुम मजबूरियों से बाहर तो निकलो
एक भरा-पूरा संसार
खड़ा है
तुम्हारे स्वागत में |
सारी कविताएँ मेरी डायरी में
कैद है
तुम्हारी आज़ादी के साथ
उन्हें आज़ाद करूँगा
तुम मजबूरियों से बाहर तो निकलो
एक भरा-पूरा संसार
खड़ा है
तुम्हारे स्वागत में |
No comments:
Post a Comment