हत्या
हर बार
तलवार या बंदूक से नहीं होती
हथियारों से जिस्म का खून होता है
भावनाओं का क़त्ल फ़रेब से किया जाता है
और पशु फ़रेबी नहीं होता
जानता है यह हक़ीकत इन्सान
फिर भी नहीं शर्माता
शर्म के लिए भी विवेक चाहिए |
हर बार
तलवार या बंदूक से नहीं होती
हथियारों से जिस्म का खून होता है
भावनाओं का क़त्ल फ़रेब से किया जाता है
और पशु फ़रेबी नहीं होता
जानता है यह हक़ीकत इन्सान
फिर भी नहीं शर्माता
शर्म के लिए भी विवेक चाहिए |
धरती ,
बोलती नहीं दर्द की कथा
आकाश रहता है ख़ामोश
जिस पेड़ को हमने छुआ था
याद है उसे स्पर्श का अहसास
पर, अब
हम नहीं हैं एक साथ
गवाही कौन दें
कि बेवफ़ा कौन है ?
बोलती नहीं दर्द की कथा
आकाश रहता है ख़ामोश
जिस पेड़ को हमने छुआ था
याद है उसे स्पर्श का अहसास
पर, अब
हम नहीं हैं एक साथ
गवाही कौन दें
कि बेवफ़ा कौन है ?
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन विश्व रक्तदान दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
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