हाँ यही गुनाह है
कि मैं खड़ा हूँ तुम्हारे पक्ष में
यह गुनाह राजद्रोह से कम तो नही
यह उचित नही
कि कोई खड़ा हो
उन हाथों के साथ जिनकी पकड़ में
कुदाल ,संभल , हथौड़ी ,छेनी हो
खुली आँखों से गिन सकते जिनकी हड्डियां हम
जो तर है पसीने से
पर नही तैयार झुकने को
वे जो करते हैं
क्रांति और विद्रोह की बात
उनके पक्ष में खड़ा होना
सबसे बड़ा जुर्म है ....
कि मैं खड़ा हूँ तुम्हारे पक्ष में
यह गुनाह राजद्रोह से कम तो नही
यह उचित नही
कि कोई खड़ा हो
उन हाथों के साथ जिनकी पकड़ में
कुदाल ,संभल , हथौड़ी ,छेनी हो
खुली आँखों से गिन सकते जिनकी हड्डियां हम
जो तर है पसीने से
पर नही तैयार झुकने को
वे जो करते हैं
क्रांति और विद्रोह की बात
उनके पक्ष में खड़ा होना
सबसे बड़ा जुर्म है ....
और मैंने पूरी चेतना में
किया है यह जुर्म बार -बार ..
किया है यह जुर्म बार -बार ..
रचनाकाल :12 जून , 2013
No comments:
Post a Comment