Wednesday, July 19, 2017

मेरा देश रोना चाहता है बहुत जोर से चीख़ कर

मान लीजिये कि कभी आप
चीख़ कर रोना चाहते हैं
किन्तु रो नहीं सकते !
कैसा लगता है तब ?
तकलीफ़ होती है न ?
मेरा देश रोना चाहता है बहुत जोर से चीख़ कर
जैसा कि मैं चाहता हूँ
किन्तु रो नहीं पाता हूँ
बहुत घुटता रहता हूँ
जैसे किसी तानाशाही ताकत ने
कैद कर दिया मुझे
किसी कैद खाने में
जहाँ से मेरी आवाज़ किसी को सुनाई नहीं देती
मैं करना चाहता हूँ
दर्द और प्रेम का इज़हार एक साथ
पर मेरी आवाज़ और तुम्हारे बीच
बहुत मजबूत एक दीवार है
मेरी आवाज़ भेद नहीं पाती उसे
आओ हम मिलकर
चीखें दीवार की दोनों ओर .....

1 comment:

  1. बेबसी, रोदन, असहायता, घुटन से निकलने की कोशिश करनी है, चीख-चिल्ला कर चुप नहीं बैठना है ! दिवार कितनी भी मजबूत हो, हम ही ने बनाई है, नष्ट भी हम ही करेंगे

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