Thursday, November 23, 2017

मुझमें सच को सच कहने का साहस बचा हुआ है अब तक

जस्टिस लोया की मौत की सनसनी वाली
ख़बर को साझा नहीं किया
सरकारी सेवा वाले प्रगतिशील
और जनपक्षधारी किसी लेखक ने
मैंने किया है !
इसका मतलब यह कतई नहीं कि
मैं सबसे निर्भीक और ईमानदार हूँ
पर इतना जानता हूँ
मुझमें सच को सच कहने का
साहस बचा हुआ है अब तक
किन्तु , मैंने अब तक 
नहीं कहा किसी से
तुम्हारे हिस्से का सच

बेईमान नहीं बन सका हूँ अब तक
इसलिए हिम्मत नहीं जुटा पाता हूँ
कि, तुम्हें बे-वफ़ा कह सकूं
मेरा चेहरा, तुम्हारे चेहरे सा न तो मासूम है
न ही आकर्षक
कि सच भी कहूँ तो मान लें हर कोई
तुम्हारे कहे 
झूठ की तरह !

खौफज़दा चेहरे के साथ मुल्क का निज़ाम भी
बोलता है झूठ लगातर
और तब जाहिल आवाम उठता है झूम
ऐसे माहौल में
तुम भी अपने मासूम चेहरे के साथ
मेरी बुराई करो तो
कोई क्यों न करें तुम्हारा यकीन ?
यह युग झूठ पर टिका हुआ है
और मुझे झूठ बोलना नहीं आता
फिर भी बना हुआ हूँ
शायद कोई चमत्कार है !
देखो न,
कि एक जज की रहस्यमयी मौत के खुलासे के बाद भी
किस तरह खामोश है मुल्क,
आवाम और मीडिया
ऐसे वातावरण में
मेरी बात को कौन
और क्यों सच मानेगा ?

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