1.
सुनो,
नदी में जल रहे
या
न रहे,
मेरी आँखों में
बाकी रहेगा गीलापन
जब चाहो
तुम
देख लेना
अपना चेहरा
मेरी आँखों में |
2.
सुनो,
नदी में जल रहे
या
न रहे,
मेरी आँखों में
बाकी रहेगा गीलापन
जब चाहो
तुम
देख लेना
अपना चेहरा
मेरी आँखों में |
2.
मैं,
तब भी तुम्हारे साथ था
जब तुम्हारा नहीं था
कोई परिचय मेरे साथ
और मैं लगातर
अनुभव करता रहा
तुम्हारे दर्द को |
तब भी तुम्हारे साथ था
जब तुम्हारा नहीं था
कोई परिचय मेरे साथ
और मैं लगातर
अनुभव करता रहा
तुम्हारे दर्द को |
अकेलेपन में
तुम्हारे दर्द के बारे में
मेरा अनुमान कितना सटीक था
यह तुम ही जानो
मेरा अनुमान आज भी वही है
ठीक मेरे अकेलेपन की तरह
तुम्हारे दर्द के बारे में
मेरा अनुमान कितना सटीक था
यह तुम ही जानो
मेरा अनुमान आज भी वही है
ठीक मेरे अकेलेपन की तरह
मेरे इस कमरे में
जहाँ मैं हूँ
अपनी तनहाई के साथ
और तुम हो शायद व्यस्त हो
अपनी भरी-पूरी दुनिया में
मैं गिन रहा हूँ
घड़ी की टिक-टिक इस तरह
जैसे डाक्टर गिनता है
दिल की धड़कन बीमारी में
जहाँ मैं हूँ
अपनी तनहाई के साथ
और तुम हो शायद व्यस्त हो
अपनी भरी-पूरी दुनिया में
मैं गिन रहा हूँ
घड़ी की टिक-टिक इस तरह
जैसे डाक्टर गिनता है
दिल की धड़कन बीमारी में
रचनाकाल : मार्च , 2016
No comments:
Post a Comment