Tuesday, July 23, 2019

तभी तो सपने में अक्सर अपनी प्रेमिकाओं से मिलता हूँ

ऐसा नहीं है कि
मैं सिर्फ मज़ाकिया हूँ
भावुक और संवेदनशील भी हूँ शायद
तभी तो सपने में अक्सर अपनी प्रेमिकाओं से मिलता हूँ
मैं उन्हें पुरानी नहीं कहता
प्रेम और प्रेमिकाएं कभी
पुरानी नहीं होती
अंग्रेजी में ex शब्द भी मुझे पसंद नहीं
मैंने यादों के साथ के दिनों की तस्वीरें भी
जतन से संभाल के रखीं हैं
दल बदलू नेताओं की तरह
अब मैं भी शातिर हो चुका हूँ
आप कह सकते हैं
अपने अनुभव के आधार पर
जबकि मुझे छोड़ जा चुके लोगों ने
मुझे बेवफ़ा कहा है
प्रेम में राजनीति इसे कहते हैं
जबकि रिश्तों में राजनीति बहुत घातक है
रिश्तों का लोकतंत्र ऐसे ही क़त्ल होता है
यह कविता अटकी नहीं थी कहीं
अपच अनुभवों की सघन उल्टी है मेरी

1 comment:

  1. बहुत अच्छी भावपूर्ण कविता।
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
    iwillrocknow.com

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