कुछ अनकहीं बातें
जो कभी कहना चाहता था
तुमसे
उनको भूला दिया है
जो कभी कहना चाहता था
तुमसे
उनको भूला दिया है
मौसम बहुत बदल गया है
अब गर्मी से अधिक
उमस होती है
प्रेम नहीं, अब
समझौते होते हैं
अब गर्मी से अधिक
उमस होती है
प्रेम नहीं, अब
समझौते होते हैं
मैंने , खुद को कवि मानना छोड़ दिया है
प्रेम के वादों को
सरकारी घोषणाओं की सूची में
डाल दिया है
प्रेम के वादों को
सरकारी घोषणाओं की सूची में
डाल दिया है
तुम सरकार हो
मैं आम नागरिक
तुम्हें खूब याद हैं
मेरे अपराध
तुम अपना वादा भूल गये हो
मैं आम नागरिक
तुम्हें खूब याद हैं
मेरे अपराध
तुम अपना वादा भूल गये हो
अब और रोना नहीं है
प्रेम का अपमान अब थमना ही चाहिए
समझदार होकर सवाल तो अब करना ही होगा
समझौते से अब निकलना होगा
प्रेम का अपमान अब थमना ही चाहिए
समझदार होकर सवाल तो अब करना ही होगा
समझौते से अब निकलना होगा
शर्तें दोनों ओर हों
किसी एक पर दोष क्यूँ हो भला ?
किसी एक पर दोष क्यूँ हो भला ?
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