Thursday, October 17, 2019

बिस्मिल्लाह अब शहनाई नहीं बजाते बनारस के किसी घाट पर

पहले मंगल पर पहुंचे
फिर चाँद पर
बड़ा पुल राष्ट्र को समर्पित हुआ
फिर मन की बात का प्रसारण हुआ
जमीन पर कुछ किसान मारे गये
भूख से कुछ बच्चे मरे
उसने राष्ट्र के नाम सन्देश दिया
देश सुरक्षित हाथों में है
शहीदों के नाम पर युवा फिर उसे चुने
उसके सहपाठी ने कहा
ताज महल हमारी संस्कृति नहीं
उसने ऐलान करवाया
सबको नागरिकता दी जाएगी
मुसलमानों को छोड़ कर
गंगा थोड़ी उदास हुई
किंतु अब उसने रोना छोड़ दिया
बिस्मिल्लाह अब शहनाई नहीं बजाते
बनारस के किसी घाट पर
मैंने असफल प्रयास किया
एक प्रेम कविता रचने की
पहले ईश्वर नामक प्राणी मरा
फिर मेरी संवेदनाएं |

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