यातनाओं के पैर नहीं होते
उसे इंसान ढोता है
कभी अकेले
कभी मिलकर
उसे इंसान ढोता है
कभी अकेले
कभी मिलकर
यह यातनाओं की
यात्रा का समय है
यात्रा का समय है
मुझे तुम्हारा साथ चाहिए
और तुम ..
कहीं गुम हो
और तुम ..
कहीं गुम हो
. 1. मैं युद्ध का समर्थक नहीं हूं लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी और अन्याय के खिलाफ हो युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो जनांदोलन से...
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