Friday, March 4, 2011

......मैंने मांग ली

आज फिर टूट कर गिरा 
एक सितारा जमीं पर 
कुछ ने ---
देखकर उसे मांग ली  कुछ मन्नतें 
और ---
मैंने मांग ली 
उस गिरते सितारे की खैरियत .

10 comments:

  1. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण कविता के लिए बधाई।

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  2. धन्यवाद शरद जी आपका .

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  3. बहुत सुन्दर और संवेदनशील..

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  4. कम शब्दों में बड़ी बात
    बहुत सुंदर
    आपको फॉलो भी कर लिया
    आप भी आएं...

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  5. Perspective Nityanand Bhai ... sahi hai! I am liking lots. Also, I loved the way you used "sitaara" instead of "taara": such meaningful double entendre so innocently introduced. Atta boy! :-)

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  6. Bahut hi bhavapoorn panktiyan hain Bandhuvar Nityanandji!! Sadhuvaad!!

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युद्ध की पीड़ा उनसे पूछो ....

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