आज फिर टूट कर गिरा
एक सितारा जमीं पर
कुछ ने ---
देखकर उसे मांग ली कुछ मन्नतें
और ---
मैंने मांग ली
उस गिरते सितारे की खैरियत .
. 1. मैं युद्ध का समर्थक नहीं हूं लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी और अन्याय के खिलाफ हो युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो जनांदोलन से...
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण कविता के लिए बधाई।
ReplyDeleteधन्यवाद शरद जी आपका .
ReplyDeleteअच्छी है...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और संवेदनशील..
ReplyDeleteकम शब्दों में बड़ी बात
ReplyDeleteबहुत सुंदर
आपको फॉलो भी कर लिया
आप भी आएं...
Thank u veena jee.
ReplyDeletePerspective Nityanand Bhai ... sahi hai! I am liking lots. Also, I loved the way you used "sitaara" instead of "taara": such meaningful double entendre so innocently introduced. Atta boy! :-)
ReplyDeleteThanks Bhaiya.
ReplyDeleteBahut hi bhavapoorn panktiyan hain Bandhuvar Nityanandji!! Sadhuvaad!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर...।
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