दस वाई दस के कमरे में
किताबों से भरी हुई रैक
दिन भर --
किताबें रहती हैं खामोश
और मैं बोलता रहता हूं उनसे
रात के सन्नाटे में
जब मैं खामोश रहता हूँ
मेरी किताबें
बातें करती है मुझसे .
और सुनाती है कहानी
अपने सीने में कैद
महान हस्तियों की /
वाह ..बहुत सुन्दर ...किताबों से संवाद अच्छा लगा
ReplyDeleteसुंदर...सहज-संप्रेष्य...।
ReplyDeleteभाई नित्यानन्द जी ,
ReplyDeleteनित्य आनन्द !
आज पहली बार आपके ब्लोग की यात्रा की ।
बहुत शानदार एवम जानदार ब्लोग है आपका ।
रचनाएं भी खूब अच्छी ! बधाई हो ! जय हो !
आपकी इस कविता के अनुरूप ही है मेरा 10बाई8
का किआबों भरा कमर और मैं हर रात हज़ारों किताबों से बतियाता हूं !
कविता अच्छी लगी ! फ़िर बधाई !
** मेरी किताबें **
दस वाई दस के कमरे में
किताबों से भरी हुई रैक
दिन भर --
किताबें रहती हैं खामोश
और मैं बोलता रहता हूं उनसे
रात के सन्नाटे में
जब मैं खामोश रहता हूँ
मेरी किताबें
बातें करती है मुझसे .
और सुनाती है कहानी
उनके सीने में कैद
महान हस्तियों की /
मेरी किताबें
ReplyDeleteबातें करती है मुझसे .
और सुनाती है कहानी
उनके सीने में कैद
महान हस्तियों की ....
बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना ! शुभकामनायें !
hum.............
ReplyDeletejab saari duniya...
jab saari duniya soti hai
tab kavi ki mulakaat kalam kitabon se hoti hai...