तुम्हारी बेरुखी से
शिकवा नहीं मुझे
तुम्हारे मायूस चेहरे से
गमज़दा हूँ मैं /
कोई चाहत नहीं
कि मिले मुझे
तुम्हारी मुहब्बत में पनाह
सिर्फ मैं
तुम्हारी खुशियों की
आज़ादी चाहता हूँ
गम की कैद से /
. 1. मैं युद्ध का समर्थक नहीं हूं लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी और अन्याय के खिलाफ हो युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो जनांदोलन से...
nice poem. When you find true love, you want his/her happiness without any return.
ReplyDeleteTHANKS.
This comment has been removed by the author.
ReplyDelete