Saturday, November 3, 2012

सम्पूर्ण पतन के बाद

वे सभी 
जो मूक हैं 
वक्त को बना कर जिम्मेदार 
छुपाया अपनी कमजोरी को 
और बने रहे चापलूस 

सम्पूर्ण पतन के बाद 
वे आयेंगे होश में 
खोलेंगे अपने द्वार 
लाशों पर चलकर आयेंगे 
एक दीपक जलाने को 
और बनेंगे जग के उद्धार ....?

4 comments:

  1. वाह...
    लाजवाब...सदा की तरह.

    अनु

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  2. भले जीवन में परिस्थितियां एक सी नहीं होती ..
    पर कर्मशील ही सफल होते हैं
    सुंदर अभिव्‍यक्ति

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  3. sabko gila bhi hai is vyavastha se,aur kisi ke sine me bgavat bhi nhi.

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  4. सुन्दर!! निशब्द....

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इक बूंद इंसानियत

  सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...