Friday, December 7, 2012

कीचड़ में फंसे हुए नाव


मौली नदी* शांत थी
पांक पर थे बाघों के पंजो के निशान
रायदिघी घाट पर
सुस्ता रहे थे नाविक
कीचड़ में फंसी  हुई थी नाव

तृणमूल एम.एल.ए. के दफ्तर के बाहर
एक लम्बी भीड़ थी
रो रही थी एक औरत
लोगों ने कहा कि
कई चक्कर लगाए इसने
पर कुछ नही हुआ
यहाँ से सात किलोमीटर की दूरी पर है
खांडा पाडा , मेरा पैतृक गांव
यहाँ नापित पाड़ा में आज भी है अंधकार का राज
माईती लोग नही छोड़ते रास्ता

मैं फिर लौट कर जाता हूँ
मौली नदी के किनारे
देखने के लिए बाघों के पंजे ..

-नित्यानंद गायेन

*सुंदरवन से निकलने वाली एक नदी

1 comment:

  1. खांडा पाडा , मेरा पैतृक गांव/यहाँ नापित पाड़ा में आज भी है अंधकार का राज/माईती लोग नही छोड़ते रास्ता/मैं फिर लौट कर जाता हूँ/मौली नदी के किनारे/देखने के लिए बाघों के पंजे।
    अद्भुत, सच में सुन्दरवन में आज भी बाघ का रज है और ज़िन्दगी रिरियाती रहती है इन हब्शी शेरों (राजनैतिक) के सामने, बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, आभार स्वीकार करें।

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