Sunday, January 20, 2013

कितनी सुरक्षित है रात ?



चांदनी की पनाह में
कितनी सुरक्षित है रात |

देखा है सबने
पहाड़ों से घिरा हुआ
खामोश मैदान को

तभी अचानक आती है
कुछ तेज कदमों की आहट
कांप उठते हैं
ओस में भीगी हुई घास
सन्नाटा टूटता है
रात का
पहाड़ों पर दिखने लगती हैं
दरारें ..

उस पार गांव की झोपड़ी के द्वार पर
एक बूढ़ी माँ ताकती है
शहर में मजदूरी करने गया
अपने बेटे की राह .....||



1 comment:

  1. बहुत सुन्दर.
    http://madan-saxena.blogspot.in/
    http://mmsaxena.blogspot.in/
    http://madanmohansaxena.blogspot.in/
    http://mmsaxena69.blogspot.in/

    ReplyDelete

युद्ध की पीड़ा उनसे पूछो ....

. 1.   मैं युद्ध का  समर्थक नहीं हूं  लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी  और अन्याय के खिलाफ हो  युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो  जनांदोलन से...