चांदनी की पनाह में
कितनी सुरक्षित है रात |
देखा है सबने
पहाड़ों से घिरा हुआ
खामोश मैदान को
तभी अचानक आती है
कुछ तेज कदमों की आहट
कांप उठते हैं
ओस में भीगी हुई घास
सन्नाटा टूटता है
रात का
पहाड़ों पर दिखने लगती हैं
दरारें ..
उस पार गांव की झोपड़ी के द्वार पर
एक बूढ़ी माँ ताकती है
शहर में मजदूरी करने गया
अपने बेटे की राह .....||
बहुत सुन्दर.
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