Sunday, September 27, 2015

संसद भवन की सीड़ियों पर माथा टेक कर बन सकते हैं आप

तमाम अपराधों के बाद
वे गाएंगे
जन-गण-मन
वंदेमातरम्
और बन कहलाएंगे राष्ट्रवादी

जो कोई बोलेगा
गरीब, आदिवासी, अल्पसंख्यक
और दलितों पर हुए अत्याचारों के बारे में
कहलाएंगे  गद्दार
संसद भवन की सीड़ियों पर माथा टेक कर
बन सकते हैं आप
देशभक्त

विदर्भ, कालाहांडी या कोई और हिस्सा देश का
जहाँ रोज मरने को विवश हैं लोग
उनकी बात न करना
बहुत महंगा पड़ेगा तुम्हें
ये देश  हमारा नहीं
राष्ट्रवादियों का  है




2 comments:

  1. 'गन-गण-मन' और 'वंदेमातरम्' भी तो कितने स्वयं ही नहीं गा पाते हैं, बुत खड़े हो जाते है, मुहं तक नहीं खुलता है इनका ...क्या कहें ..प्रजातंत्र है भैया प्रजातंत्र ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. पूरे तंत्र से प्रजा गायब है

      Delete

युद्ध की पीड़ा उनसे पूछो ....

. 1.   मैं युद्ध का  समर्थक नहीं हूं  लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी  और अन्याय के खिलाफ हो  युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो  जनांदोलन से...