Thursday, June 7, 2018

आईने में दरार पड़ चुकी है

पत्थर को 
देवता बनाने वाले इन्सान 
पत्थर हो चुके हैं 
हम दिल की बात करते हैं 
वो व्यापारी बन चुके हैं 
दानिश्वर मासूम नहीं होता 
वह शातिर हो चुका है 
कश्म कश किससे है मेरा 
आईने में दरार पड़ चुकी है

7 comments:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, सपने हैं ... सपनो का क्या - ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  2. शुक्रिया आपका

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  3. अनवरत जलधारा पड़ने से पत्थर भी पिघल जाते हैं..हर दिल की गहराई में एक ही तो छिपा है

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  4. बहुत बढ़िया

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  5. अच्‍छा लगा आपके ब्‍लॉग पर आकर....आपकी रचनाएं पढकर और आपकी भवनाओं से जुडकर....

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