जांच का आदेश दे दिया गया
किसी पर आंच न आने पाए
यह भी कह दिया गया .
खाद्य मूल्य जब बढ रहे थे
बित्त मंत्री शेयर बाज़ार के आंकड़े गिन रहे थे
कृषि मंत्री क्रिकेट के लिए पैसे जुटा रहे थे
किसान खेतों में मर रहे थे .
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युद्ध की पीड़ा उनसे पूछो ....
. 1. मैं युद्ध का समर्थक नहीं हूं लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी और अन्याय के खिलाफ हो युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो जनांदोलन से...
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. 1. मैं युद्ध का समर्थक नहीं हूं लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी और अन्याय के खिलाफ हो युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो जनांदोलन से...
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गाँधी ने पहनी नहीं कभी कोई टोपी फिर उनके नाम पर वे पहना रहे हैं टोपी छाप कर नोटों पर जता रहे अहसान जैसे आये थे बापू इस देश मे...
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सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...
किसानो के प्रति सहानभूति मेरे विचार से माँ सेवा ही है ....आप ऐसा ही कर रहे है ...लिखते रहे
ReplyDeletedhanyvaad baban jee
ReplyDeletekisano ke prati apani sahanubhuti bahut sundar shabdo me vyakt ki hai aapne. hamare Bhumihar ki vyatha ko bahut achhe se jana hai aapne.
ReplyDeleteहां, यह आपकी संवेदना ही है जो खेतों में मर रहे किसानों के बीच जाकर रोती है और जंगल के शेरों के लौटने पर गीदड़ों की गत सोचकर हंसती है... मानवीय संवेदना का यह विस्तार ही कविता की आत्मा है... अच्छी अभिव्यक्ति...
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