Sunday, July 1, 2012
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युद्ध की पीड़ा उनसे पूछो ....
. 1. मैं युद्ध का समर्थक नहीं हूं लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी और अन्याय के खिलाफ हो युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो जनांदोलन से...
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सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...
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. 1. मैं युद्ध का समर्थक नहीं हूं लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी और अन्याय के खिलाफ हो युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो जनांदोलन से...
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बरसात में कभी देखिये नदी को नहाते हुए उसकी ख़ुशी और उमंग को महसूस कीजिये कभी विस्तार लेती नदी जब गाती है सागर से मिलन का गीत दोनों पाटों को ...
बहुत सुन्दर...................
ReplyDeleteअनु
शुक्रिया अनु जी
Deleteभावमय करते शब्द ... बेहतरीन प्रस्तुति।
ReplyDeleteधन्यवाद सदा जी ......
Deletevery beautifully expressed...
ReplyDeleteThanks Richa ji,
DeleteRemembring... one...
ReplyDeleteThank u Baban Bhaiya
Deletebahut sundar tareeke se bitiya rani ke prati apni mamta purn bhavnayen udeli hain aapne,duniya ki saari betiyan apne paapa ki nanhi pari hi hoti hain shayad, meri bitiya bhi apne papa ki nanhi pari hai....... vakai jaadu hota hai in nanhi pariyon ke paas saare gam bhula dene ka apni maasoom si baaton aur harkaton se!
ReplyDeleteshukriya , sahi likha hai aapne
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