Wednesday, July 25, 2012

बच्चों की हंसी

वे बच्चे 
जो, गवाह हैं
जंगल महल से 
हिरोशिमा, नागासाकी 
फिर वियतनाम से लेकर 
ईराक से अफगानिस्तान तक 
कभी 
मुस्कुरा उठे गर 
रोते –रोते
उस रात , चाँद भी हंसेगा शायद आकाश का

जिस दिन
विदर्भ , बस्तर
और देश के हर कोने से
बंद हो जायेगी
खाली बर्तनों की आवाज़
उस दिन खिल उठेगा
हर चमन में हंसेगा फूल

बंदूक की आवाज़ बंद होने पर
जब रातमें
चैन से सोयेगा
पूरा देश
और ..
मुस्कुरा देंगे बापू
राजघाट की समाधी से ...
मैं फिर पढूंगा भारतीय संविधान का 

तीसरा अध्याय ......

No comments:

Post a Comment

युद्ध की पीड़ा उनसे पूछो ....

. 1.   मैं युद्ध का  समर्थक नहीं हूं  लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी  और अन्याय के खिलाफ हो  युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो  जनांदोलन से...