वे बच्चे
जो, गवाह हैं
जंगल महल से
हिरोशिमा, नागासाकी
फिर वियतनाम से लेकर
ईराक से अफगानिस्तान तक
कभी
मुस्कुरा उठे गर
रोते –रोते
उस रात , चाँद भी हंसेगा शायद आकाश का
जिस दिन
विदर्भ , बस्तर
और देश के हर कोने से
बंद हो जायेगी
खाली बर्तनों की आवाज़
उस दिन खिल उठेगा
हर चमन में हंसेगा फूल
बंदूक की आवाज़ बंद होने पर
जब रातमें
चैन से सोयेगा
पूरा देश
और ..
मुस्कुरा देंगे बापू
राजघाट की समाधी से ...
मैं फिर पढूंगा भारतीय संविधान का
तीसरा अध्याय ......
जो, गवाह हैं
जंगल महल से
हिरोशिमा, नागासाकी
फिर वियतनाम से लेकर
ईराक से अफगानिस्तान तक
कभी
मुस्कुरा उठे गर
रोते –रोते
उस रात , चाँद भी हंसेगा शायद आकाश का
जिस दिन
विदर्भ , बस्तर
और देश के हर कोने से
बंद हो जायेगी
खाली बर्तनों की आवाज़
उस दिन खिल उठेगा
हर चमन में हंसेगा फूल
बंदूक की आवाज़ बंद होने पर
जब रातमें
चैन से सोयेगा
पूरा देश
और ..
मुस्कुरा देंगे बापू
राजघाट की समाधी से ...
मैं फिर पढूंगा भारतीय संविधान का
तीसरा अध्याय ......
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