ठीक इस वक्त
जब मैं,
और आप
अपने -अपने कमरे में
बैठे हुए अखबारों की सुर्खियाँ चाट रहे हैं
गाँव में मगरू और गोबरधन
फटी धरती पर खड़े होकर
रूठे हुए आकाश को ताक रहे हैं
उनके ठीक बगल में
शरत बाबू का 'महेश'
उदास खड़ा है
गफूर की नन्ही अमीना
गयी है कहीं दूर
पानी की खोज में
इधर दिल्ली के निज़ाम ने
अपने नये सूट के माप के लिए
टेलर मास्टर को राजभवन आने का आदेश दिया है
तुम अपने वातानुकूलित शयनकक्ष में अंगड़ाई लेके फिर से सो गये
मैं पसीने में तर
तुम्हारे नमक का हक अदा कर रहा हूँ
यदि किसी दिन हाथ आ गया सूरज
उसे निचोड़ दूंगा
जब मैं,
और आप
अपने -अपने कमरे में
बैठे हुए अखबारों की सुर्खियाँ चाट रहे हैं
गाँव में मगरू और गोबरधन
फटी धरती पर खड़े होकर
रूठे हुए आकाश को ताक रहे हैं
उनके ठीक बगल में
शरत बाबू का 'महेश'
उदास खड़ा है
गफूर की नन्ही अमीना
गयी है कहीं दूर
पानी की खोज में
इधर दिल्ली के निज़ाम ने
अपने नये सूट के माप के लिए
टेलर मास्टर को राजभवन आने का आदेश दिया है
तुम अपने वातानुकूलित शयनकक्ष में अंगड़ाई लेके फिर से सो गये
मैं पसीने में तर
तुम्हारे नमक का हक अदा कर रहा हूँ
यदि किसी दिन हाथ आ गया सूरज
उसे निचोड़ दूंगा
मैं,
मगरू और गोबरधन के गाँव जा रहा हूँ
वहां महेश से कहूँगा
भारत में रहना हो तो
गफूर को अपना मालिक मत बनाना फिर कभी
और अमीना से कहूँगा
कि जीना है तो
अपना नाम बदल ले
या उठा ले क्रांति मशाल हाथों में
यहाँ बिना लड़े नहीं मिलता जीने का अधिकार
आज़ादी का आना अभी बाकी है साथी |
मगरू और गोबरधन के गाँव जा रहा हूँ
वहां महेश से कहूँगा
भारत में रहना हो तो
गफूर को अपना मालिक मत बनाना फिर कभी
और अमीना से कहूँगा
कि जीना है तो
अपना नाम बदल ले
या उठा ले क्रांति मशाल हाथों में
यहाँ बिना लड़े नहीं मिलता जीने का अधिकार
आज़ादी का आना अभी बाकी है साथी |
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "आज़ादी के परवानों को समर्पित १८ अप्रैल “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteबहुत खूब...
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