थ्री पीस सूट त्याग कर
घुटनों तक धोती में आकर ही
मोहनदास
महात्मा बने
अब कोई
उनके चरखे के साथ तस्वीर खिंचवाकर
शांतिदूत बनने की तमन्ना रख लें
तो कोई क्या करें !
राजकुमार सिद्धार्थ
लुम्बिनी का राज महल छोड़कर
जंगल -जंगल ज्ञान की तलाश में भटककर ही तो
बने थे गौतम बुद्ध |
घुटनों तक धोती में आकर ही
मोहनदास
महात्मा बने
अब कोई
उनके चरखे के साथ तस्वीर खिंचवाकर
शांतिदूत बनने की तमन्ना रख लें
तो कोई क्या करें !
राजकुमार सिद्धार्थ
लुम्बिनी का राज महल छोड़कर
जंगल -जंगल ज्ञान की तलाश में भटककर ही तो
बने थे गौतम बुद्ध |
अब कोई लाखों का सूट पहिनकर
खुद को फकीर कहें
तो कोई क्या करें ?
हिंसा जिसके शब्दों में व्याप्त हों
वो करें शांति और अमन की बात
तो हैरानी के सिवा बचता क्या है ?
खुद को फकीर कहें
तो कोई क्या करें ?
हिंसा जिसके शब्दों में व्याप्त हों
वो करें शांति और अमन की बात
तो हैरानी के सिवा बचता क्या है ?
सुकरात के ज़हर के प्याले के बारे में
जिसे कोई ज्ञान नहीं
वह करें त्याग की बातें
तो इसे आधुनिक भाषा में
कामेडी ही कहा जायेगा
अब उसकी हरकतों पर हैरानी नहीं होती
बस हंसी छूट जाती है
जिसे कोई ज्ञान नहीं
वह करें त्याग की बातें
तो इसे आधुनिक भाषा में
कामेडी ही कहा जायेगा
अब उसकी हरकतों पर हैरानी नहीं होती
बस हंसी छूट जाती है
उसके तालाबों में
कितनी मछलियाँ जीवित बची होंगी
गोधरा को याद करते हुए
बताइएगा मुझे |
कितनी मछलियाँ जीवित बची होंगी
गोधरा को याद करते हुए
बताइएगा मुझे |
No comments:
Post a Comment